Sunday, June 10, 2012

भ्रष्टाचार की बात कौन कर रहा है?

मैं नहीं कहती रामदेव भ्रष्ट हैं। मैं ये भी नहीं कहती कि वे सन्यासी नहीं व्यापारी हैं। मैं सिर्फ रामदेव को जानना चाहती हूँ। उन्हें इसलिए जानना चाहती हूँ क्योंकि वे भ्रष्टाचार के विरोध में हैं और हजारों लोग उनकी बात का भरोसा करते हैं। भारत की नागरिक होने के नाते मैं जानना चाहती हूँ कि भ्रष्टाचार का विरोध करने वाला असल में है कौन? मैंने रामदेव को उनके कामों से जानने की कोशिश की और वह कोशिश इस रिपोर्ट के रूप में आपके सामने है। आर्य समाजी संत हैं रामदेव: हिन्दू धर्म में संत की पहचान उसके संप्रदाय से होती है। यह व्यवस्था कुछ वैसी ही है जैसे समाज में जातियाँ। सबसे और बहुमान्य संप्रदाय सरस्वती संप्रदाय है जो आदि गुरु शंकरचार्य से प्रारम्भ है। इसमें दीक्षित संत सन्यासी कहलाते हैं। यह संप्रदाय सनातन हिन्दू धर्म को मानता है। जानकारी न होने के कारण अधिकांश भगवाधारियों को समाज में सन्यासी ही मान लिया जाता है। रामदेव की बात की जाए तो वे आर्यसमाजी हैं। यह सनातन धर्म से इतर एक अलग धारा है। आर्यसमाज वेद को अपना आधार मानता है और सनातनी पद्धति का विरोध करता है। आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार फलित ज्योतिष, जादू-टोना, जन्मपत्री, श्राद्ध, तर्पण, व्रत, भूत-प्रेत, देवी जागरण, मूर्ति पूजा और तीर्थ यात्रा मनगढ़ंत हैं, वेद विरुद्ध हैं। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में समाज की कुरुतियों से लड़ने के लिए आर्यसमाज की स्थापना की थी। आज भी हर आर्यसमाजी संत सामाजिक कार्य, वेदों का प्रसार और आर्यसमाज के नियमों के प्रसार को अपना परम कर्तव्य मानता है। आर्यसमाज को समझने के बाद मैंने काफी कोशिश की जानने की कि रामदेव ने आर्यसमाज के लिए क्या कार्य किए हैं। यों तो पूरे पतंजलि योगपीठ में एक भी मूर्ति नहीं है, पर आश्चर्य कि फिर भी अधिकांश लोग उन्हें सनातनी ही मानते हैं। किसी सन्यासी को आर्यसमाजी समझा जाए तो वह इसका मुखर होकर विरोध करेगा, पर आर्यसमाजी संत बाबा रामदेव को लोग सनातनी संत मान रहे हैं और वे लंबे समय से इस पर चुप हैं। योग क्या है? योग का अर्थ होता है जोड़ना। जब योग को आध्यात्मिक घटना के तौर पर देखा जाता है तो योग का अर्थ है आत्मा का परमात्मा से जोड़। सरल शब्दों में कहा जाये तो, मनुष्य का ईश्वर से मेल। मानव मन को ईश्वर से जुडने के लिए मानसिक, आत्मिक और शारीरिक रूप से निरोगी होना होगा। उसमें कोई विकार न हो तो यह जोड़ जल्दी होगा, सरलता से होगा, अवश्यंभावी होगा। विकार युक्त मन से यह संभावना क्षीण हो जाएगी। ध्यान से पहले के सभी आसन और प्राणायाम आदि उसी विकार मुक्त मन को पाने की चेष्टा मात्र होते हैं। रामदेव का योग: रामदेव ने योग का बहुत प्रसार किया। इसे मुनियों की कुटी से निकाल कर घर-घर पहुंचा दिया। यह सराहनीय कदम था। कितना अच्छा होता यदि सम्पूर्ण विश्व ईश्वर से एकाकार हो जाता। परंतु बाबा रामदेव का योग पेट कम करने, वज़न कम करने, जोड़ो के दर्द से मुक्ति पाने का व्यायाम बनकर ही रह गया। अब या तो रामदेव योग को इतना ही जानते हैं या फिर वे लोगों की रुचि और सुविधा के अनुसार इसे सीमित कर रहे हैं। जो भी हो, यह दोनों ही तरह से योग विधा के साथ घोर अन्याय है। रामदेव का आयुर्वेद: आयुर्वेद भारत की सनातन चिकित्सा पद्धति है, जो कि पूर्णतया वैज्ञानिक है। ऋषि-मुनि वन में जीवन बिताते हुए जड़ी-बूटियों, वनस्पतियों के लाभ और उपयोगों की खोज किया करते थे। यह अनुसंधान, तपश्चर्या और समर्पण का विषय था। आज के दौर में उसकी जगह बीएएमएस ने ले ली है। इस डिग्री को प्राप्त करने के बाद ही कोई आयुर्वेदिक चिकित्सक के तौर पर प्रैक्टिस कर सकता है। अब जहां तक रामदेव का प्रश्न है, दुनिया उन्हें योगाचार्य के रूप में जानती है न कि आयुर्वेदाचार्य के रूप में। तिस पर भी उनके उत्पाद उनके नाम पर ही बिकते हैं न कि किसी आयुर्वेदाचार्य के नाम पर। अब यह किस श्रेणी की ईमानदारी है आप तय कीजिये। आयुर्वेदचार्य बालकृष्ण: बड़े-बुजुर्ग कहते हैं किसी की पहचान करनी हो तो उसके मित्रों और सहयोगियों से करो। बालकृष्ण मित्र हैं, (शिष्य जैसा तो उनका आचरण नहीं), पार्टनर हैं, क्या हैं स्पष्ट नहीं, पर फिलहाल सहयोगी मान लेते हैं। बालकृष्ण रामदेव की फार्मेसी का काम देखते हैं। आयुर्वेद की कोई मान्य डिग्री उनके पास भी है या नहीं, पता नहीं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पर भी प्रश्न हैं। मैं नहीं कहती कि वे झूठ बोल रहे हैं, पर वारंट जारी होने पर उनका फरार होना उन्हें संदिग्ध बना ही जाता है। वह भी तब जब उनके और रामदेव के लाखों समर्थक हैं। रामदेव के गुरु: रामदेव के गुरु और बाद में सहयोगी राजीव दीक्षित की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई। भीड़ की तरह मैं बिना किसी सबूत रामदेव पर कोई आरोप लगाना उचित नहीं समझती। फिर भी, एक बात मुझे परेशान किए हुए है कि ऐसी मौत पर जो आवाज़ पतंजलि योगपीठ के भीतर से उठनी चाहिये थी, वह अंदर से न उठकर बाहर से उठी। बाहर से उठने वाली आवाज़ को भी अंदर समर्थन नहीं मिला, बल्कि वह एक फुसफुसाहट बनकर रह गयी। रामदेव के उत्पाद: रामदेव फार्मेसी के नाम पर हर वह उत्पाद बना रहे हैं जो बाज़ार में पहले से उपलब्ध है। अब सवाल है कि रामदेव किस सामाजिक उद्देश्य से मोइश्चराइज़र, फेस क्रीम, साबुन और एंटि रिंकल क्रीम बना रहे हैं? यदि उन्हें योग पर भरोसा है तो मुंह पर तरह-तरह की क्रीमें क्यों मलवाते हैं? आयुर्वेद के नाम पर बने ये कास्मेटिक उत्पाद बिना लाइसेन्स के हैं जो गैरकानूनी है। आपने वीको टर्मरिक का विज्ञापन देखा है? विज्ञापन में “विको टर्मरिक, नहीं कोस्मेटिक” ऐसा क्यों कहते हैं, कभी सोचा? उसी लाइसेन्स की बाध्यता के कारण जिसके बिना रामदेव करोड़ों का कारोबार धड़ल्ले से चला रहे हैं। पतंजलि उत्पादों पर एमआरपी: MRP means such price at which the product shall be sold in retail and such price shall include all taxes levied on the product. भारत के टैक्स के नियम साफ कहते हैं कि एमआरपी का अर्थ ऐसा मूल्य है जिसमें सभी टैक्स शामिल हैं। रामदेव धड़ल्ले से अपने उत्पादों पर एमआरपी लिख रहे हैं और कोई टैक्स नहीं भर रहे। पतंजलि योगपीठ की स्थापना आर्यसमाज के नियम विरुद्ध: आर्यसमाज तीर्थ यात्रा का विरोध करता है। रामदेव बताएं कि हरिद्वार का उनके लिए क्या महत्व है? हरिद्वार, गंगा के कारण विश्व भर में हिन्दू तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। पतंजलि योगपीठ की हरिद्वार जैसे तीर्थस्थल पर बनाना इसके महत्व को भुनाना ही था। जब आपके पंथ में तीर्थ का कोई महत्व ही नहीं है तो उसके नाम को भुनाना कौन सी ईमानदारी है? भ्रष्टाचार इस देश का मुख्य समस्या है। हर कोई इससे मुक्ति पाना चाहता है। जैसे ही कोई भ्रष्टाचार मिटाने की बात करता है, सभी, भले ही वे स्वयं कितने ही भ्रष्ट क्यों न हों उसके पीछे लामबंद हो जाते हैं। समाज का नियम है कि हम भले ही कैसे भी हों, राजा श्रेष्ठ होना चाहिए, लोकतंत्र में राजा की जगह नेता को रख लें। अब जब आपने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक नेता चुना है तो यह जानना आपका परम कर्तव्य होना चाहिए कि वह स्वयं तो भ्रष्ट नहीं है? मैंने तो जान लिया, अब आपकी बारी है।

2 comments:

  1. Sadhvi ji! mai na to baba ka bhakt hoo, na hi unka yog karta ho aur na hi aaj tak unki dawa etc. ka prayog kiya hai. jaha tak baat Baba ram dev ki hai to ab tak unke karyo se desh aur sanskriti ko fayada hi hua hai (political opposition ko chod kar). Bhrastachar ke khilaf wo aage aa rahe hai to isaka sidha fayada desh ko hi hoga. CBI aur anya agensiyo ka 1 sutriya karya kewal unki jaanch karna hi rah gaya hai. DEsh bhakat hobne ke liye sanyasi (Saraswati/aarya samaji) hona jaroori nahi hai. wo jo kar rahe hai wo theek hai. mai to kahta hoo aur sant log bhi shuro kar de. Vedo ke prachar prasar me koi burai nahi hai. ab wo satyog nahi raha, ab to teacher sabhi theory ko theek se padhata hai but te jaroori nahi ki wo sari theory ko palan bhi kare. Jab jago tabhi sabera... waiting for your reply....

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  2. aapne chakkar mei tou daal diya hai...baba ramdev se galtiya tou hui hongi...lekin haalat ko dekhte hue ye choti hai..maaf kiya ja sakta hai..govt ne baba ke khilaf puri taqat laga di fir bhi kuch khaas hasil nahi kar payi..yahi action kisi aur par hota tou kai baar pakda jata...

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