Wednesday, July 4, 2012

बंगला नहीं, गाड़ी नहीं, प्यार चाहिए

किसी भी देश को, कबीले को, सभ्यता को देखिये, राजा या प्रमुख बहुत ही ठाट-बाट से रहता दिखेगा और प्रजा में से किसी को इस पर ऐतराज भी नहीं होगा। ऐतराज करना तो दूर की बात, लोगों के लिए यह गर्व का विषय होता है कि उनका राजा या नेता या प्रमुख कितनी आन-बान से रहता है। राजा को राज्य के खर्च पर इस प्रकार से सुविधाएं देने का तर्कपूर्ण आधार है। राजा को सुविधाएं इसलिए दी जाती हैं, ताकि वह हर प्रकार की चिंता से मुक्त रहकर देश कार्य में अपना मन लगा सके। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ यह करती हैं। अपने कर्मचारियों के खाने से लेकर कपड़ों की धुलाई और जूते पोलिश तक का प्रबंध करती हैं। अब सोचिए, यदि राजा को भी अपनी दो जून की रोटी की चिंता करनी पड़े तो वह शासन से जुड़े काम कब निपटाएगा? खाने-कपड़े की चिंता के बीच क्या वह, वह सब सोच और कर पाएगा जो उससे अपेक्षित है? बस, यही वह कारण है जिसके कारण राजा को वैभव युक्त जीवन जीने हेतु सभी सुविधाएं दी जाती हैं। अखिलेश यादव द्वारा विधायकों को कार देने के निर्णय के पीछे भी कदाचित यही सोच रही होगी। बीस लाख तो बहुत अधिक हैं पर पाँच से दस लाख तक गाड़ी के लिए देना ऐसा कोई कदम नहीं था जिसके लिए इतनी हाय-तौबा मचाई जाती। यदि आप चाहते हैं कि आपका विधायक जनता के बीच रहे, गाँव=गाँव तक उसकी पहुँच हो और इस सबके साथ वह ईमानदार भी हो तो गाड़ी तो आपको देनी पड़ेगी। नहीं देंगे तो वह उल्टे रास्ते से ले लेंगे। देंगे तो आपका पूछने का अधिकार बना रहेगा कि वह अपने क्षेत्र को कितना समय दे रहे हैं। अखिलेश के इस निर्णय का विरोध करने वाले गोमती नगर में सस्ती दरों पर मिलने वाले प्लॉट के लिए मना नहीं करते, विधायक निवास के लिए मना नहीं करते, मुफ्त यात्राओं के लिए मना नहीं करते, आवासों पर लगे एसी और कर्मचारियों के लिए कभी मना नहीं करते। अपने उपयोग में आने वाली हर सुविधा उन्हें स्वीकार्य है। निर्वाचन क्षेत्र में जाने को गाड़ी मिल रही है तो वो नहीं चाहिए। मना करने वाले वही लोग हैं जिनके पास महँगी गाड़ियों की कतारे हैं। गाड़ी का क्या है, वो तो ये खरीद ही लेंगे। निधि से खरीदेंगे तो जवाबदेही बढ़ेगी। कौन झंझट में पड़े? कह दो नहीं चाहिए और महान बन जाओ। सच में जनता के लिए दर्द होता तो विधायकों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं का भी त्याग कर दिया होता। या फिर, सुविधाओं का उपभोग करते हुए अपने को जनता के लिए समर्पित कर दिया होता।

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