Friday, May 3, 2013

कैसी हो आपकी चाल?

एक जगह किसी से मिलने गयी वहां एक महिला को देखा जो बड़ी तेज़ी से इधर-उधर भाग रही थी लगा कि यह यहाँ काफी प्रभावशाली हैं और पूरे ऑफिस के काम का भार इन्हीं के कन्धों पर है बाद में भी कई बार जाना हुआ और वह हमेशा ऐसे ही व्यस्त दिखीं आधे रास्ते तक जातीं और फिर वहां से मुड़कर दूसरी ओर चल देती। ऑफिस से घर के लिए निकलने पर लौट-लौट कर केबिन में घुसतीं और इस क्रम में लगभग एक घंटा और बिता देतीं। मैं उन्हें इस हालत में देखकर सोचती कि यह तसल्ली से आधा घंटा और रुक जाती तो काफी काम निपट जाता और यह हड़बड़ी भी नहीं होतीजब भी कोई उनसे बात करने की कोशिश करता, वह रुककर ऐसे सुनतीं मानो कहीं आग लगी हो और बात सुनने में देरी हुई तो सब स्वाहा हो जायेगाएक-दो बार देखने पर जहाँ उनकी यह व्यस्तता प्रभावित कर रही थी, वहीँ कुछ समय बाद यह केवल उनकी हड़बड़ाहट और आडम्बर लगी उसी कंपनी के मालिक जो वाकई में व्यस्त व्यक्ति थे और जिनके ऊपर अधिक जिम्मेदारियां थीं, हमेशा ही संतुलित लगते थे

खैर! उस महिला और उसकी चाल को धन्यवाद जिसके कारण मुझे लिखने की प्रेरणा मिली। अब आपको बताती हूँ कि अलग-अलग चाल का क्या अर्थ होता है। आप मेरे अनुभव में अपने अनुभव भी जोड़िये और व्यक्ति की पहचान करिये

  • यदि कोई संतुलित चाल से चल रहा है तो समझिये कि उसे पता है कि दिन में कितना काम करना है और कब करना है
  • यदि कोई हमेशा ही जल्दी में चलता दिखे तो वह बहुत ही बेतरतीब व्यक्ति है और उसकी प्राथमिकता सूची तय नहीं है
  • यदि किसी के बुलाने पर कोई दौड़ कर या तेज़ चलकर जाए तो समझिये कि वह बुलाने वाले को अधिक महत्त्व दे रहा है
  • बुलाने पर कोई बेहद धीमी चाल से चलकर आये तो समझिये कि वह जानबूझ कर बुलाने वाले का महत्त्व कम करके दिखा रहा है
  • बुलाने पर कोई संतुलित चाल से चलकर आये समझिये कि वह अपने को आपसे बड़ा नहीं तो छोटा भी नहीं समझता है
  • एक अधिकारी कार्यालय में रहते हुए शौचालय भी ऐसे चलकर जाता है मानो मुआयना करने जा रहा हो
  • वह घर जाते हुए गेट तक ऐसे चलकर जाता है जैसे गेट की सुरक्षा जांचने जा रहा हो
  • वह गलत दिशा में भी चल पड़ा हो तो आधे रास्ते से यूँ ही वापिस नहीं आता। रास्ते से किसी को पकड़ता है और उससे चर्चा करने के बहाने वापिस आता है
  • एक चपरासी या पीए कार्यालय में कुछ तेज़ी से ऐसे चलता है मानो किसी के बुलाये जा रहा है, फिर भले ही वह चाय पीने ही क्यों न जा रहा हो  
  • लड़की लड़के की ओर सिर कुछ झुकाकर जाए तो समझिये कि वह लड़के को पसंद करती है
  • पेट को कुछ बाहर निकालकर हाथ बहुत झुलाकर चलने वाले व्यक्ति मानसिक रूप से अपरिपक्व और अपने में मस्त रहने वाले होते हैं। अपने सुख से बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं
  •  दायें हाथ में अक्सर कोई न कोई फ़ाइल,फोल्डर या किताब छाती से चिपकाकर चलने वाले नहीं चाहते कि कोई उन्हें रास्ते में रोककर बात करे या कोई काम बताये
  • कमर बहुत मटकाकर चलने वाली महिलायें चाहती हैं कि लोग उन्हें नोटिस करें। ठीक ऐसा ही पुरुषों के मामले में भी होता है

तो जनाब, अब आप मोरनी की, हंस की चाल भूल जाइए और अपनी चाल पर ध्यान दीजिये। चाल निर्धारित करेगी कि क्या दिखना चाहते हैं आप। चाल से आप अधिकारी, चपरासी, शर्मीले या घमंडी कुछ भी दिख सकते हैं। जब इतने महत्त्व की है यह चाल तो क्या कहें अब? यही कह सकते हैं, कि 'ए भाई, ज़रा देख के चलो!' 

11 comments:

  1. mere favourate subjects mei se ek hai manovigyan...chaal bhi body language ka ek hissa hai...sharir ki har kriya manobhav darshati hai...aapne bahut acha vishleshan kiya hai...

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    1. धन्यवाद...आप भी अपने विश्लेषण का साझा करें तो प्रसन्नता होगी...

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    2. बहुत सुन्दर लेख देवी जी

      धन्यवाद'

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  2. आपका और आपकी पारखी नजर का कोई सानी नही ! गजब का आंकलन है ........!

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  3. nayee jankari dene ke liye aapka aabharee hoon.

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  4. Chidarpitaji Aapko fb pe friend rqst bheji hai Acsept to kariye

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  5. मेरे पैरो में घुँगरू बंधादे के िफर मेरी चाल देिखए.....
    सच में दोस्तो िकसी की चाल से उसकी प्रेरणा व आत्मिवश्वास का स्तर पता चलता है...

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  6. दिलचस्प लेख ...हमारे गुण -अवगुण ही तो हमारे व्यक्तिय्व की पहचान होते है ...

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  7. Chal vastav mai.....insaan ki pahchan batati hai.......mai is page ki sabhi bato se sahmat hoo.........thanks

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