Sunday, October 24, 2010

मैं घर का बड़ा हूँ?

मैं एक आम का पेड़ हूँ। मेरे सामने पैदा हुए पेड़ आज फलों से लदे हुए हैं। कुछ बौर और कच्ची अमिया मेरी डालियों पर भी लटक रही हैं। सामने के पेड़ पर लगे फल ज़मीन छू रहे हैं, जिन पर वह इतरा रहा है। ठीक है,इतराने वाली बात भी है। कभी मेरा भी ज़माना था। मेरे आम के लिए मालिक इंतज़ार करते थे। जब तक मेरा आम नहीं खाते थे उनकी न सुबह होती थी, ना शाम। आम भी तो गजब के होते थे। बड़े-बड़े, रसीले और मीठे। याद नहीं कि मेरे किसी फल ने कभी ज़मीन देखी हो। बच्चे-बड़े सभी इंतज़ार में रहते और अधपके फल ही तोड़ लेते। अब तो उम्र हो गयी है। मगर ऐसा नहीं कि मैं बेकार हो गया। आज भी तन कर खड़ा हूँ। छाँव दूर तक फैली है। इतनी किसी और की नहीं। मेरी छाँव में अम्मा रोज़ बैठती हैं और बाग के आमों का हिसाब करतीं है। बच्चे भी यहीं खेलते है। कल ही पड़ोस की चाची अम्मा से कह रहीं थीं कि जो ठंडक मेरी छाँव में है, वो उनके कूलर में नहीं। जाने कितनी गिलहरियों और चिड़ियों का बसेरा है मेरी शाख पर। कोयल जब मुझ पर बैठकर कूकती है, हर कोई सिर उठाकर इस तरफ देखता है, पर मेरे घने पत्ते किसी को उसे देखने नहीं देते। मैं घर का बड़ा हूँ। दरवाज़े पर ही रहता हूँ। बच्चों को झूलाता हूँ और उनकी किलकारी पर खुद भी झूम जाता हूँ। अरे ! बातों में पता ही नहीं चला कि मालिक के घूमने का समय हो गया है। लीजिए, वो आ भी गये। आज वो मेरी तरफ देखकर बिटिया से कुछ कह रहे है-“अब इसमें फल की गुंजाइश नहीं। कटवा दो इसे। कम से कम धूप तो आयेगी सर्दियों में।''
धूप आयेगी सर्दियों में? और गर्मियों में? मुझ पर बने बसेरों का क्या होगा? मैंने आपको सालों बिना कुछ मांगे मीठे फल दिए है। बच्चे कैसे झूलेंगे? अम्मा कहाँ बैठेंगी? कोयल किस पर कूकेगी? क्या मैं इतना बेकार हो गया हूँ? मैं तो इस घर का बड़ा था...... ये क्या कह दिया आपने? मैं झुक रहा हूँ धीरे-धीरे। मेरी पत्तियाँ भी मुरझा रही हैं। मैंने आपसे कभी कुछ नहीं माँगा। आज भी नहीं माँगूँगा। मैं खुद ही गिर जाता हूँ, आखिर.... मैं घर का बड़ा हूँ....... ।

5 comments:

  1. Parivartan hi sansar ka niyam he!!!!!!!!

    http://chintancheri.blogspot.com/2011/04/blog-post_9701.html

    i always follow you quotes on facebook!!!!!!

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  2. shishir tewariMay 03, 2011 4:28 AM

    aise bahot se ghar ke bade aaj old age home main jeevan ke aakhiri din bitaate hain.yed yatharth bhi hai aur roopak bhi

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