श्री अखिलेश यादव जी
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार
लखनऊ।
विषय: चिन्मयानंद के दबाव के कारण शाहजहाँपुर पुलिस से न्याय न मिलने के संबंध में
महोदय,
निवेदन है कि प्रार्थिनी उच्च शिक्षा प्राप्त जागरूक महिला है और दिल्ली में पली-बढ़ी है। प्रार्थिनी को बचपन से ही ईश्वर और धर्म-कर्म में विशेष आस्था-श्रद्धा रही है, लेकिन यही आस्था-श्रद्धा प्रार्थिनी के लिए एक तरह से दुर्भाग्य भी बन गयी। धर्म और ईश्वर में आस्था-श्रद्धा के चलते ही प्रार्थिनी मानसिक तौर से विकृत इंसान पूर्व ग्रहराज्य मंत्री और बड़े संतों में शुमार चिन्मयानंद के चंगुल में फंस गयी। उसका असली चेहरा सामने आने के बाद उससे मुक्त हो पाती उससे पहले उसने प्रार्थिनी को बंधक बना लिया और शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण लंबे समय तक करता रहा। प्रार्थिनी ने शाहजहाँपुर की सदर कोतवाली में मु.अ.स. 1423/11 धारा 360,376,506,307,323,313 IPC के तहत FIR 30/11/11 को दर्ज करा दी थी, जिसकी विवेचना सदर कोतवाली के ही इंस्पेक्टर नरेन्द्र्पाल सिंह को दी गयी। यह इंस्पेक्टर चिन्मयानंद के आर्थिक और राजनैतिक दबाव के सामने टूट गए और प्रार्थिनी को न्याय दिलाने की दिशा में काम करने की बजाय चिन्मयानंद को बचाने के तरीके खोजने लगे। तभी शुरू में हाई कोर्ट से अरेस्ट स्टे पाने में चिन्मयानंद कामयाब हो गए, पर यह ईश्वर की कृपा ही कही जाएगी कि शाहजहाँपुर में रमित शर्मा जैसे कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार एसपी तैनात थे। उन्होने मुक़द्दमे की दशा देखते हुए व प्रार्थिनी के निवेदन पर विवेचना नरेद्र्पाल सिंह से हटाकर ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ जलालाबाद कोतवाली के इंस्पेक्टर श्री धामा को दे दी।
महोदय, एक ओर रमित शर्मा जैसे कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार एसपी सौभाग्य से मिले, वहीं बरेली ज़ोन में तैनात आईजी श्री आर. पी. सिंह दुर्भाग्य के रूप में फिर आड़े आ गए। उन्होने चिन्मयनन्द के पक्ष में अधीनस्थों पर दबाव बनाकर केस को समाप्त कराने का भरपूर प्रयास किया, जिससे मुक़द्दमे में अभी तक कोई खास कार्यवाही नहीं हो पायी है। श्री धामा जैसे ईमानदार विवेचक भी निवर्तमान आईजी के दबाव में शांत बैठे रहे। निवर्तमान आईजी से टकराने की बजाय प्रार्थिनी भी शांत बैठ कर समय का इंतज़ार करती रही कि सत्ता परिवर्तन के बाद जब सभी अधिकारी-कर्मचारी ईमानदार तैनात किए जाएंगे प्रार्थिनी को तभी न्याय मिलेगा। महोदय, श्री रमित शर्मा के स्थान पर शाहजहाँपुर में तैनात किए गए एसपी श्री एके राघव खुल कर चिन्मयानंद के पक्ष में कार्य करते दिख रहे हैं, उनसे प्रार्थिनी को न्याय की आशा बिल्कुल भी नहीं हैं। परेशान होकर कर्तव्यनिष्ठ इंस्पेक्टर श्री धामा ने विवेचना से हटने का मन बना लिया है, साथ ही उनका तबादला मुरादाबाद रेंज के लिए कर दिया गया है। शाहजहाँपुर के एसपी श्री ए॰के॰ राघव ऐसे इंस्पेक्टर को विवेचना देना चाहते हैं, जो मुकदमे को खत्म ही कर दे। इसलिए प्रार्थिनी का निवेदन है कि किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से विवेचना कराने की कृपा करें, ताकि उक्त मानसिक तौर से विकृत इंसान चिन्मयानंद को सज़ा मिल सके।
महोदय, चिन्मयानंद को हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर मिले स्टे की अवधि समाप्त हो गयी है एवं चिन्मयानंद के काले कारनामों में साथ देने वाले अन्य भी कई लोगों के नामों का खुलासा हो गया है, लेकिन पुलिस चिन्मयानंद के साथ बाकी सह-आरोपियों को भी गिरफ्तार नहीं कर रही है, जिससे उक्त सभी मिलकर गवाहों और सबूतों को लगातार मिटा रहे हैं एवं मुक़द्दमा समाप्त कराने की दिशा में अधिकारियों पर राजनैतिक व आर्थिक दबाव भी बना रहे हैं। उक्त लोगों के बाहर रहते प्रार्थिनी को न्याय मिल पाना असंभव ही है। पुनः आग्रह है कि मुक़द्दमे की विवेचना स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने के साथ उक्त सभी की तत्काल गिरफ्तारी भी कराने की कृपा करें।
श्रीमान जी की अति कृपा होगी।
प्रार्थिनी
चिदर्पिता गौतम
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