Tuesday, November 30, 2010

राम से बड़ा राम का नाम

असम का एक इलाका है कोकराझार। वहाँ रहने वाली बोडो जाति के लोग एक कांटेदार झाड़ी की शिव रूप में पूजा करते हैं। यह उनके विश्वास का ही फल है कि वही कांटेदार झाड़ी उनके दुःख सुनती भी है और दूर भी करती है।
एक सज्जन थे। उनका प्रबल विश्वास था कि जब भी वे टीवी के साथ गीज़र चलायेंगे फ्यूज उड़ जायेगा। परिवार के लोग साक्षी थे कि कई बार ऐसा हो भी चुका था। एक दिन उनके शरारती बेटे ने उनकी अनुपस्तिथि में दोनों को साथ चलाया तो कुछ नहीं हुआ। बाद में कई बार देखा गया कि उनकी अनुपस्तिथि में दोनों चीज़ें सुरक्षित चलती रहती थीं।
कुछ लोगों का विश्वास होता है कि काली बिल्ली रास्ता काटे तो अनिष्ट होता है। उनके अपने ऐसे अनुभव भी होते हैं। पर यह भी एक सच है कि जिन देशों में ऐसी मान्यता नहीं वहाँ बिल्ली के रास्ता काटने का कोई असर नहीं होता।
गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश करते हुए कहते हैं – ‘संशयात्मा विनश्यति।’ संशय युक्त प्राणी विनाश को प्राप्त होता है। ऐसा क्यों? संशय अर्थात विश्वास की अनुपस्तिथि। तो क्या विश्वास न होना इतनी बड़ी बात है? आज तक तो यही सुना था कि ईश्वर कृपा ही सब कुछ है। यदि हम सुपात्र है तो ईश्वर कृपा प्राप्त होगी ही। हम विश्वास करें या न करें। पर गीता में लिखे को अनदेखा तो नहीं किया जा सकता। कृष्ण ने अपने सखा को, अपने भक्त को उपदेश करते हुए यह कहा है, जो कि उनका परम कृपापात्र भी है। कुछ तो कारण होगा ही इसके पीछे। निश्चित ही कारण है। जो व्यक्ति विश्वास करता है उसके साथ दो में से एक घटना अवश्य ही घटती है। या तो उसका विश्वास सच होता है, या नहीं होता है। विश्वास फलीभूत होने पर वह पाता है और दूसरी स्तिथि में नहीं पाता। अर्थात विश्वास करते ही उसके विश्वास के सच होने की पचास प्रतिशत सम्भावना बन जाती है। जैसे-जैसे उसका विश्वास दृढ़ होता है ये सम्भावना भी ऊपर की ओर बढ़ने लगती है। दूसरी ओर संशययुक्त प्राणी के लिए तो एक ही स्तिथि है – खोना, और केवल खोना। वह नदी किनारे खड़े सशंकित व्यक्ति की तरह कभी पार नहीं हो पाता। विश्वास में परिस्तिथियों को प्रभावित करने की क्षमता होती है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ऊर्जा व्याप्त है। हमारे शरीर में भी उस ऊर्जा का एक अंश है। जब हम विश्वास से भरे होते हैं तो हमारे शरीर में विद्यमान ऊर्जा केंद्रित होने लगती है। इच्छाशक्ति के बढ़ने के साथ ही वह ऊर्जा भी बढ़ने लगती है और प्रबल होकर धीरे-धीरे ब्रह्माण्ड में व्याप्त ऊर्जा को भी प्रभावित करती है। असल में हमारा विश्वास ही है जो फलीभूत होता है। विश्वास ही है जो पत्थर में भगवान के दर्शन करता है। प्रह्लाद का विश्वास है कि नारायण स्तंभ से प्रकट होंगे तो नारायण को स्तंभ से प्रकट होना होता है। विश्वास से भरी पत्नी यमराज से पति के प्राण लौटा लाती है। विश्वास ही है जो सागर पर सेतु बाँध देता है। अर्जुन का कृष्ण पर विश्वास उसे क्लांत पुरुष से योद्धा बना देता है। यदि आपका ईश्वर में विश्वास है तो आपको सदा उनकी कृपा का बोध होता रहेगा। कहते हैं, ‘राम से बड़ा राम का नाम।‘ आपका राम में विश्वास है तो उनका नाम ही पर्याप्त है। राम में विश्वास नहीं तो स्वयं राम भी सामने प्रकट हो जाएँ तो आपका भला नहीं कर पायेंगे। विश्वास ही है जो एक ही राम विभीषण और रावण को अलग-अलग रूपों में दिखते हैं। विभीषण को वे तारणहार के रूप में प्राप्त हैं तो रावण को उनमें अपना काल दिखायी देता है।
राम कथा तो जाने कितनों ने लिखी। पर तुलसी ने भवानी-शंकर को जब श्रद्धा-विश्वास रूप में पूजा तो रामचरित मानस विश्वास बन कर घर-घर में, हर मन में बैठ गयी।

7 comments:

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  2. Vipender Mann (vipender@gmail.com)December 08, 2010 6:47 PM

    आप के शब्दों मैं एक सरलता है
    विश्वास करना कितना सरल है किन्तु कितना कठिन भी
    विश्वास शायद पश्चिम मैं जिसे power of positive thinking कहा गया
    शायद यहाँ विश्वास के लिए confidence शब्द सही नहीं होगा कृपया टिप्पणी करें
    धन्यवाद्

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  3. बिल्ली के रास्ता काटे जाने वाली बात से मैं सहमत हूँ। मैं कई बार जानबूझ कर बिल्ली के रास्ता काटे जाने पर घर से निकला हूँ, पर कभी कुछ नहीं हुआ; लेकिन एक बार संयोग से हमारे एक रिश्तेदार ने एक ऐसे ही मौके पर मुझे बाहर जाने से रोका, और ना जाने क्यूं एक पल के लिए मेरा मन भी डगमगा गया और उस दिन मैं अपने स्कूटर से नीचे गिरा।
    वाकई जब तक विश्वास नहीं था तब तक कुछ भी नहीं हुआ, लेकिन उस दिन एक पल के अविश्वास ने अपना असर दिखा ही दिया।

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  4. ashran sharan shanti ke dham mujhe bharosa tera ram. Mujhe bharosa Ram tum apna de anmol rahoon mast nishchint mein kabhi na jaaoun dol

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  5. Main Aaapki Likhai Ki Shaili Se Bohat Parbhavit Huwa Muje Aapke Swand Or Jeewan Ki Baatoin Ka bohat Acha Laga Lakin Ak Baat Hai Jo Mere Mun Main Uthal Puthal Kar Rahi Hai Wo Hai Paisa Aaj Jeewan Chalane K Liye Har Insaan Paiso K Liye Dodta Hai Or Uske Piche Bhaagta Hai Phir Jaane Anjaane Main Hamse Kahi Baar Jhoot Bhi Bola Jata Hai Or Kahi Baar Bohat Kuch Galat Bhi Kiya Jata Hai Kya Aap Is Baat Par Apne Vichar Muje Bata Sakti Hai

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  6. i think the line "Ram se bada ram ka naam" indicates something other. but the things in above article also indicates the "law of attraction" that is given in the book "the secret"
    and also some other.

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  7. sahi chidpitaG jab lanka pahuchane ke liye setu nirman ho raha tha sare log kam me lage hue the har koi kuch na kuch kar raha tha nanhi gilhari bhi kam me thi aur ramg khali baithe the kuch nahi kar rahe the vanar pathar par ram likhkar pani me chod rahe the ram ne bhi eak pathar aur pami me chod diya aur who dub gaya ramg ne idhar udhar dekha koi dekh to nahi raha hai santusth hone ke bad who baith gaye ped ke upar se hasane ki aawaj aai unhone dekha hanuman hus rahe the pucha hus kyo rahe ho to bole aapne pathar dala aur who dub gaya ram ne kaha kisi se kahana nahi to bole kyo nahi bolunga sabase kahuga aur ga ga kar kahunga ram ne kaha muze badnam karoge to hanuman bole nahi prabhu me to sabko ye sandesh donga jisko ram ne thama who par aur jisane ram ko chada who duba

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