Friday, April 22, 2011
मेरा सफर
दस-बारह वर्ष की आयु से ही जाने क्या था जो अपनी ओर खींचता था। जिंदगी से कोई विरक्ति नहीं थी, बल्कि बहुत-बहुत प्यार था। सिर्फ अपनी ही नहीं, सबकी जिंदगी से। यहाँ तक कि पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की भी। ईश्वर की कृपा ही नज़र आती है हर जीवन में मुझे। इस प्रसन्नता के बावज़ूद संतुष्टि नहीं थी। हमेशा लगता कि बहुत सा काम अधूरा पड़ा है। वह काम क्या है, ये पता नहीं था। उम्र बढ़ने के साथ ये उत्कंठा बढ़ती गयी और कम हुई जब अपने गुरूजी परमपूज्य श्री स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती जी की शरण में आयी। उन्होंने कोई आदेश, कोई निर्देश नहीं दिया, बस सिर पर हाथ रख दिया। कुछ महीनों में लगने लगा कि दीक्षा ही मेरा जीवन है। ईश्वर ने मुझे जो भी दिया है, वह इसमें होम करके सुगंधि फ़ैलाने के लिए ही दिया है। मैंने गुरूजी से अपनी यह इच्छा प्रकट की। उस समय उम्र बीस साल और शिक्षा स्नातक तक की हुई थी। बाबाजी (मैं अपने गुरूजी को बाबाजी बुलाती हूँ) ने कहा अभी आगे पढ़ाई करो। उस समय एक और महात्मा पास बैठे थे। उन्होंने कहा, " अब आगे पढ़ कर कौन सा नौकरी करनी है, धर्म-ग्रंथों का अध्ययन कराइए।" बाबाजी ने तुरंत ऐतराज़ जताते हुए कहा,"धर्म-ग्रंथों का अध्ययन इसके साथ भी हो सकता है। बुद्धि का जितना उपयोग किया जाये बढ़ती है।" उनके आशीर्वाद से लॉ, एम०ए० (इंग्लिश) और फिर एम०एड० किया। उनके उस एक निर्णय ने जीवन को मेरी आँखों के सामने खोलकर रख दिया। मैंने भारत की कानून व्यवस्था को जाना, अंग्रेज़ी की उत्तम कृतियों को पढ़ा तथा एम०एड० करते हुए अनेकानेक विचारकों के विचारों का अध्ययन भी किया। इसके साथ ही गीता एवं भागवत पर टीकायें, रामायण, विवेकानंद, अरविन्द, परमहंस जी आदि का स्वाध्याय भी चलता रहा। उनके उस निर्णय का एक लाभ ये भी हुआ कि किसी को भी मेरा निर्णय जोश में लिया गया निर्णय नहीं लगा और ईश्वर कृपा से मुझे भी कभी एक क्षण को अपने निर्णय पर खेद नहीं हुआ। मेरे विद्यार्थी जीवन में बाबाजी मुझे अचानक कभी भी किसी भी मंच पर बोलने को खड़ा कर देते। वे एक बार कहते कि जाओ तुम कर लोगी और मुझमें जाने कहाँ से सामर्थ्य आ जाता। गर्व से कह सकती हूँ कि उन्होंने मुझे अपनी शक्ति से सिंचित कर पाला है। आज अगर किसी को मुझमें प्रकाश की कोई किरण दिखती है तो वह उस सूर्य से प्राप्त है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Sadhviji, the sense of absolute surrender to your Guruji, is what makes you different from many others, such complete trust is very rare. From whrever it might emanate, I have at times experienced some thing very and truly great in your personality. Pray continue to shower your blessings upon me, I feel privileged to have you among my Facbook friends.
ReplyDeleteईश्वर के होने का यही प्रमाण है....बहुत दिनो के बाद आपका विचार जनने का सौभाग्य मिला. मन प्रसन्न हो गया...
ReplyDeleteकहा गया है कि जिसमे हमारी प्रवृति हो उसी में लगा रहना चाहिए क्योकि अपनी रूचि और अरुचि का सबसे ज्यादा ख्याल खुद को होता है दूसरों को नहीं. जीवन में योग्य गुरु के बिना जीवन वैसे भी अधुरा होता है. आप अपने जीवन से संतुष्ट है इस बात से अनेक लोगों को प्रेरणा मिलेगी जो आज भौतिकता की अंधी दौड़ में लगातार दोड़ते जा रहे हैं और उन्हें यह पता नहीं है कि उनकी मंजिल क्या है .........
ReplyDeleteएक कहावत है--बाढ़े पूत पिता के धर्मे। यही बात गुरु-शिष्य परंपरा पर भी लागू होती है। बाबाजी को प्रणाम। आपको प्रणाम।
ReplyDeleteBAHUT HI KAM LOG HATE HAI JO SARE RAH IS BAT KO MANTE HAI JO KUCH HAI WHO GURU KA DIYA HAI AUR EAK SAMAY EASA AATA HAI KI WHO HI WHO HOTA HAI AAP KAHI NAHI HOTE EAK MUKAM EASA BHI AATA HAI KI "ME RUBERU EA YAR HU BAS EAK YAHI KARAM HAI JITANA HASEEN MERA BALAM(GURU) HAI KISI KA BALAM NAHI HAI"
ReplyDeleteWhy u are lacking rationality, despite that much higher educational degrees?
ReplyDeletesadhviji ji main nahi janti ki main kaya khu but itna janti hu jab bhi ye sab padte hu maan saint ho jata hai
ReplyDeletesadhviji apko aur babaji ko pranam -aapki lekhani aur aapki bateen dil aur dimag me ander tak ghar kar jati hai kya kahoon man karta hai aur sune sunte hi rahen
ReplyDeleteBeej Dharti me apna astitva khokar paudha ban jati hai.
ReplyDeleteShishya guru me astitva khokar ishwaratva ko prapta hota hai
में धन्य हूँ कि में किसी ज्ञानी ब्यक्ति के साथ संवाद में हूँ, एकतरफा ही सही.
ReplyDeleteishavar jisse jo karvana chahta hai usase vokarvata hai.lekin sansar me gyani aapni aadhayatmik darshti usko pahcan kar us marg parlane wale log kam hai.dhanya hai babaji jaise yug darsta jinne aap ka marg parsast kiya.
ReplyDeleteये हमारी खुशकिस्मती है कि हमे आपके नया केवल सधे हुए विचार पढ़ने को मिलतें हैं साथ ही हमे वैचारिक मार्गदर्शन भी मिलता है ! इस से हमे प्रेरणा मिलती है ! सच कहें तो आत्मिक शक्ति मिलती है जिस से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से झूझने में जरा सी भी दिक्कत नहीं होती ! हमे प्रसन्नता है हम आपके ज्ञान के प्रकाश में प्रकाशित हैं !
ReplyDeletewah.....vaicharikta sanskaar se janmati hai...dhany hai aap...
ReplyDeleteAadab,jab uper wale ko apne sansar main kisi manaw say koi karye lena hota hay to woh sansar ka moh uske man say nikal ker jeew say perem ka bhaw uske man main daal deta hay use lagne lagta hay karye bahut hain jeevan chota hay.
ReplyDeletejisne guru ka aader man say kiya giyan bhi usi nay paya. main aap kay vichron ka man say aader karta hon.
योगेन्द्र जी,मनु जी,अनिल श्रीवास्तव जी,संजय दशमना जी,अश्विनी सिंह जी, अरुण साथी जी, अनुराधा जी, मदन मोहन सिंह जी,आशु जी,सज्जन जी,अवाले जी के साथ अपने उन सभी मित्रों की आभारी हूँ जिन्होंने अपना नाम नहीं लिखा है कि आप सबने अपना कीमती समय देकर मेरे ब्लॉग को पढ़ा. मेरा सौभाग्य है कि आप सब किसी भी तरह मुझसे जुड़े हैं.
ReplyDeletechiranjeevi bhav sakhi...
ReplyDeletethough i do not have the elated pleasure of being your facebook friend;yet i let these inanities pass.it was by chance that i stumbled upon your profile,and was really wonderstruck,such encapsulated and thought stimulating knowledge,definitely a distilled elixir of divine grace.please dont mind my saying so,but i have a gut feeling that the public arrival of such personae to guide the nation in these tirbulent times of the crisis of credibility and lack of leadership is very much the need of the hour
ReplyDeletei love this and adore you for your such a enleightended life and thoughts..My heartly regards and love to you sadhvi ji.
ReplyDeletehamaari sanskrit ki bauddhik yaatra hi ek prashna ke saath shuru hui 'ko aham'.kuchh mahaan atmaao ko yeh prashna bahut udvelit karta hai,aur wahin se shuru hota hai ek safar jo bhautik seemaaon ko laangh,nikal padta hai ek yatra par jiske har sopan par jeev ,aatma aur brahma ka antar aur doori kam hooti jaati hai.AApne lamba safar taya kiya aisa spashta hai.aapki yaatra safal hogi aisa mera vishwas hai kyonki aapko sadguru ka maargdarshan wa sahara hai .woh anant ,aseem aapki yatra safal kare aisee meri asha hai aur prabhu se vintee bhi
ReplyDeleteSWAMI JI MUGHE PATA NEHI KI MAIN YEAH KUCH LIKHNE KAA SAHI INSAN HOO YEAH NAHI,PAR YEAH MERA 1ST TIME HAI,PAR EK BAAT BOLUNGYA KI MAIN JAAB VI KUCH MUSIBAT MAIN PARTA HOO,USKA UTTAR BHAGABAN MUGHE DEE DETE HAI,PARANTU AAPKI ADHAR KI SNIGDHA TAA MUGHE BOHOT SUKUN DETI HAI.
ReplyDeleteAASHIRWAD RAKHIYE KI JIBAN MAIN AAGE JAA SAKU.
AAPKA SEBAK-SANJEEBAN PURKAYASTHA.
“Everything I know is but a drop in the ocean of knowledge”. Gyan ki Sagar aur Karam Yogini sadhavi ji ko pranaam...!!!JAI-HIND...!!!
ReplyDeletehoon....
ReplyDeleteपूरा ब्लॉग पढ़ा, मन में अपार संवेदनाएं उठ रही हैं.
ReplyDelete