Wednesday, May 4, 2011
वह माँ 'थी'
गाय जानती है कि यह मेरे बच्चे के हिस्से का दूध लेने आ रहा है. फिर भी वह थोडा सा अपने बच्चे के लिये बचाकर बाकी उसे लेने देती है, ताकि उसके बच्चे भूखे न रहें. वह इतनी सीधी होती है कि उसे धूप में हरी घास लाने को भी नहीं कहती. सूखी ही खाकर पेट भर लेती है. उस सूखी घास को वह कैसे सरस दूध में बदल देती है यह तो स्वयं ईश्वर भी नहीं समझ पाये. समझ लेते तो ठुनककर माँ से दूध क्यों मांगते? वह अपना पेट भरती है उस घास से, जो और किसी के काम की नहीं, जो यूँ ही यहाँ-वहाँ उग जाती है... और वह कृपण उसे 'वह' घास भी नहीं दे पाता. वह कुछ रुपयों के लिये उसे कसाई के हाथों बेच देता है. वह अबोध कातर आँखों से उसे देखती जा रही है. आँखों में स्नेह है, आतुरता है, बिछड़ने की पीड़ा है... नहीं जानती कि सिर्फ अपने खूंटे से नहीं बल्कि दुनिया से जा रही है..पलट-पलट कर देख रही है.. दूर होना नहीं चाहती. उससे दूर नहीं होना चाहती जिसे उसके जीने-मरने से कोई अंतर नहीं पड़ता. एक वह है जो सूखी घास को दूध बना देती थी और एक शै यह आदमी है जो दूध को दो बूंद पानी नहीं बना सका.. वह माँ जिसने उसे दूध पिलाया, उसके बच्चों को दूध पिलाया आज उसके जूते के चमड़े में तब्दील हो चुकी है....
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गाय पर मंडरा रहे हैं संकट के बादल
ReplyDeleteगाय राष्ट्र का गौरव है। दुनिया में जो भी संपदा है वह गाय ही है जिस पर आज संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह बात हाकगंज बरंडा में साप्ताहिक प्रवचन में आर्यिका रत्न आदर्शमति माता और दृढ़मति माता ने कही।
आदर्शमति माता ने कहा कि जियो और जीने दो के धर्म सूत्र से ही भारत गौरव शाली राष्ट्र बन सकता है। इसके लिए लोगों को इस सूत्र का अनुशरण करना चाहिए। इसके बाद आर्यिका रत्न गुणमति माता ने कहा कि समय की गति बहुत तेज है। समय के पैर नहीं पंख होते हैं। हम समय नहीं काटते वास्तव में समय हमें काट रहा है, जो अपने समय का सदुपयोग कर लेता है, उनका ही जीवन धन्य बन जाता है।
गौ रक्षा के लिए आप एक सार्थक प्रयास कर रही हैं , हम सब आपके साथ हैं ... धन्यवाद !
ReplyDeleteधन्यवाद शुभम जी, शोभा जी
ReplyDeleteमार्मिक सत्य
ReplyDeleteaapki is bat ka me kaayal hu...
ReplyDeletea very gud message with a very impressive story..
धन्यवाद कृष्णा जी, आदित्य जी
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