Wednesday, February 6, 2013

यह बम नहीं, फ़तवा फेंकते हैं

नन्हें-नन्हें बच्चे जब तुतलाकर कुछ गाते हैं या संगीत की धुन पर मटकते हैं तो हर कोई उन्हें मुग्ध होकर निहारता है। वही छोटे बच्चे जब कुछ बड़े होकर स्टेज पर नाचते-गाते दिखते हैं, तो माता-पिता निहाल हो जाते हैं, गर्व से सिर उठाकर बगल की सीट पर बैठे लोगों को बताते हैं, कि वह उनका बच्चा है। आपके हमारे लिए यह आम बात है, लेकिन माफ़ कीजिये साहब, कश्मीर में ऐसा नहीं होता। कश्मीर में ऐसे मासूम बच्चों के खिलाफ फ़तवा जारी कर दिया जाता है।
दसवीं की तीन लड़कियों नोमा नजीर, फराह दीबा और अनीका खालिद ने परगाश नाम से एक रॉक बैंड बनाया। उस बैंड के चर्चित होते ही उन्हें धमकियाँ मिलने लगीं। प्रमुख महिला अलगाववादी संगठन दुख्तरान--मिल्लत ने बैंड में शामिल लड़कियों के सामाजिक बहिष्कार की धमकी दे दी और इतने पर भी सब्र नहीं हुआ तो मुफ्ती--आजम बशीरुद्दीन ने बैंड के खिलाफ फतवा जारी कर दिया।
यह सब तो वह घटनाक्रम है जो मीडिया में है, इसके अलावा उनके और उनके परिवार के साथ क्या हुआ होगा, इसका सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मान लेते हैं कि वे बच्चियां इस्लामिक रवायतों से अनजान हैं, पर उनके माता-पिता और अन्य परिजन तो मुस्लिम हैं। उन्हें पता है कि उनका मज़हब किसकी इजाज़त देता है और किसकी नहीं। माता-पिता के दिये संस्कार के अनुसार ही सिर ढँक कर, मुंह लपेट कर पूरी तरह इस्लामिक पहनावे में अपनी प्रस्तुति देने वाली इन लड़कियों, लड़कियों कहना गलत होगा, बच्चियों ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया जिसकी इतनी बड़ी सज़ा मिली वे कभी नहीं समझ पाएंगी। फिलहाल तो वे बुरी तरह सहमी हुई हैं। एक लड़की ने कश्मीर छोड़ दिया है और बाकी दो संगीत का नाम तक नहीं सुनना चाहतीं। भरे गले से कहती हैं कि, अब वे कभी नहीं गायेंगी, क्योंकि इस्लाम में संगीत हराम है। जाने उनके दिमाग में यह डर पैदा करने वाले कौन लोग हैं, पर वे निश्चित ही बहुत बड़े कायर हैं। उनकी इतनी ही पहचान है मेरे लिए। यदि वे कायर न होते तो सबसे पहले ए आर रहमान को जाकर बताते कि मुस्लिम धर्म अपनाया है तो संगीत छोड़ दो, क्योंकि इस्लाम में संगीत हराम है।
सिर्फ रहमान ही क्यों, जब से भारतीय सिनेमा की शुरुआत हुई है, इस पर मुस्लिमों का कब्ज़ा रहा है। गीत, संगीत, वाद्य, अभिनय, कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहाँ मुस्लिमों ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है? क्या बशीरुद्दीन ने कभी युसूफ खान उर्फ़ दिलीप कुमार के खिलाफ फतवा जारी किया? मैंने तो नहीं सुना। जावेद अख्तर जो ग़ज़लें लिखते हैं, ज़ाहिर है गाये जाने के लिए ही लिखते हैं, ख़य्याम जिनका संगीत आज तक घर-घर में गूंजता है, गीतों पर नाचने वाले सलमान, आमिर, शाहरुख, सैफ...कितने नाम लूँ, क्या यह सब मुसलमान नहीं हैं?
फिल्मों को छोड़ दें तो भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत भी मुस्लिमों ने ही संभाली हुई है। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के खिलाफ फतवा जारी क्यों नहीं हुआ? हालाँकि बशीरुद्दीन ने संगीत को मुसलमान के लिए हराम बताया है। औरत-मर्द की बात नहीं कही है उन्होंने, पर संगीत से जुडी मुस्लिम औरतों की भी कमी नहीं है। आबिदा परवीन, बेग़म अख्तर जैसी ग़ज़ल गायिकाओं के नाम गिनाना शुरू करुँगी तो यह लेख नामों से ही भर जायेगा। बशीरुद्दीन जैसे लोगों को कायर कहने के बाद नामों की यह सूची गिनाने का तात्पर्य केवल इतना ही था कि यह सब लोग उनकी पहुँच के बाहर के लोग हैं। इन पर बस नहीं चलता उनका। उन तीन मासूम बच्चियों के मन में दहशत पैदा करना आसान काम था और इस आसान काम को करने के बाद वह सुकून में हैं।
फिल्म वालों को अक्सर लोग समाज के हिस्सा नहीं मानते। चलिए साहब, यह भी मान लेते हैं कि वे आपके समाज का हिस्सा नहीं, पर वही लोग जब दरगाह पर चादर चढ़ाने आते हैं तो उनका मुसलमान के नाते ही स्वागत किया जाता है। क्या कभी कहा किसी ने कि वे मुस्लिम नहीं?
और हाँ, अजमेर शरीफ की दरगाह पर होने वाली कव्वालियों को आप क्या कहते हैं? संगीत तो नहीं कहते होंगे? कुछ और नाम रख लिया होगा आपने उनका, क्योंकि संगीत तो हराम है आपके मज़हब में। आप अपनी बात पर कायम रहिये। थोड़ी हिम्मत जुटाइये और उन तीन मासूम बच्चियों के अलावा भी किसी को अपने होने का एहसास कराइए। अमीर खुसरो से शुरू कर सकते हैं, जिनके शेर आज कव्वाली के रूप में हर दरगाह पर गाये जाते हैं। दूसरा फतवा उन्हीं के नाम।
इन लोगों को कट्टरपंथी कहने के मैं सख्त खिलाफ हूँ। कट्टरपंथी अपने धर्म में पूरी आस्था रखता है, उसे धर्म की जानकारी भी होती है। यह लोग न धार्मिक हैं और न ही कट्टरपंथी। इन्हें सनकी कहना ज़्यादा सही होगा। सनकी व्यक्ति की एक ही पहचान होती है कि वह कब क्या कर दे, क्या कह दे किसी को पता नहीं होता। उनकी सनक का कारण खोजे नहीं मिलता और बशीरुद्दीन इस पह्चान पर खरे उतरते हैं। इस तरह के लोग आतंकवादी से कम नहीं। फर्क सिर्फ इतना है कि यह बम नहीं फेंकते, फ़तवा फेंकते हैं।
इस प्रकरण में एक अच्छी बात यह हुई है कि बहुत से मुस्लिम ही इन मासूमों के पक्ष में उतर आये हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने तो यहाँ तक कह दिया कि “मैं ऐसे कई मौलवियों को जानता हूं जो अपने घरों में बंद कमरों में बैठकर ब्लू फिल्में देखते हैं।“ इस प्रकरण में बुरी बात यह है कि इसे मुस्लिम समुदाय के बीच की समस्या जानकर हिंदू चुप हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। वे भारत की बेटियाँ हैं और उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो भारत की किसी भी अन्य बेटी को प्राप्त हैं। जाति-धर्म के बंधन भुलाकर हिंदुओं को भी खुलकर उनका साथ देना चाहिए। उनका हौंसला बढ़ाना चाहिए और इस प्रकार विरोध करने वालों को एहसास कराना चाहिए कि भारत में तालिबानी शासन नहीं चलेगा।
कुछ मुस्लिम जिस तरह खुलकर उन लड़कियों के पक्ष में बोल रहे हैं उसे देखकर यह देखकर तसल्ली मिलती है कि आज का मुस्लिम समाज फ़तवे की दहशत में नहीं जी रहा। उसने दिमाग के दरवाज़े खोल दिए हैं और वह अब ‘बंदिगी’ और ‘बंदिश’ में फ़र्क समझने लगा है।

5 comments:

  1. यदि वे कायर न होते तो सबसे पहले ए आर रहमान को जाकर बताते कि मुस्लिम धर्म अपनाया है तो संगीत छोड़ दो, क्योंकि इस्लाम में संगीत हराम है।

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    1. A.R RAHMAAN HI KYU..JAVED AKHTAR..KHAYYAM..SHAKIL BADAUNI..HASARAT JAIPURI..NAUSHAD SAAB...KAMAL AMROHI..KAMAR JALALABADI..BEGHAM AKHTAR..NOORJAHAN.SHAKIRA..VAHIDA REHMAAN..MUMTAZ..SHABANA AZMI..
      .
      .YE SABHI KYA MUSLIM NAHI HAI...KYA INAKO HIDUSTAN MAI SAMMAN NAHI..PURA HINDUSTAN IN SAB KE HUNAR KA KAAYAL HAI..

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  2. Basically, kashmir valley leaders mainly hurriyat leaders get instructions and orders from across the border. These very muslims who talk of Kashmiryat today actually told Hindu pandits to leave their women folk behind. It is only a religion like Islam can talk and its followers can think. Recently in Saudi Arabia a cleric (muslim) had been raping a 5 year old girl for a long time and when he get caught, he paid blood money to his mother and avoid penalty. This is Islam. So, masters of kashmir valley muslims from across the border tell them, look you have progressed, your children are studying and we are far behind so also keep your pace like us otherwise, we will not consider you as our brothers. There was a slogan from militants from valley and across the borders so called Jihadis, pakistan say rista kya, la ila lil lil la.

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  3. सच तो यह है कि समाज के लोग इन कि बातों पर ज्यादा त्वजय देते हैं,रही सही कसर सरकारें पूरी कर देती हैं.सरकार इन मुल्ला मोलविओं से इतना डरती हैं कि उनकी गलत और तर्कहीन दकियानूसी हरकतों पर कोई पाबन्दी नहीं लगाती.तमिलनाडु का ताजा उदहारण हमारे सामने है जब जयललिता ने आपस में बैठकर मामला सुलझाने के लिए कमलहासन पर दबाब डाला.केंद्र सरकार भी एक बार बयां दे कर चुप बैठ गयी.वोट बैंक और तुष्टिकरण कि नीति उन कि जुबान को बंद कर देती है.इन बच्चियों कि प्रतिभा को किस प्रकार कुचला गया सब देखते रहे,अब जम्मू कश्मीर सरकार दिखने के लिए धर पकड़ कर रही है कुछ दिन बाद ये सब बहार होंगे, या इनके विरुद्ध केस इतने कमजोर टायर किये जायेंगे कि ये बाहर आ जायेंगे और फिर यही कहानी दोहरे जाएगी.मजे कि बात है कि उस फतवा देने वाले के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कि जा रही.

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  4. अचानक ही आपके ब्लाग पर नजर गई। बहुत खूबसूरत ब्लाग है इसके लिए आपको बधाई। जिस विषय पर आपने लिखा है। वह सटीक है और दिल को छूने वाला है। इत्तेफाक यह कि इसी विषय पर मैंने एक ग़ज़ल लिखी है। अगर आपको वक्त मिले तो सुमरनी देखिएगा। http://sumarnee.blogspot.in/ जो बात आपने गद्य में कही है वही बात मैंने पद्य में कही है। आपकी टिप्पणी का इंतजार रहेगा। शुभकामनाएं।

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