मैं नहीं जानती कि, सचिन ने कितने रन बनाए, कितने विकेट लिए और कितने मैच खेले और न ही मैं कहीं से देख कर यह आंकड़े अपने इस लेख में शामिल करना चाहती हूँ। मेरी नज़र में सचिन एक महान क्रिकेटर हैं और उनकी महानता को साबित करने के लिए आंकड़ों की कोई ज़रूरत नहीं। सचिन रमेश तेंदुलकर एक ऐसे करिश्माई जादू का नाम है जो दो दशकों से सभी के सिर चढ़ कर बोल रहा है।
अच्छे खिलाड़ी तो दुनिया में पहले भी हुए हैं, आज भी हैं और आगे भी आते रहेंगे, पर इस महानता को छू पाना किसी के लिए आसान न होगा। आखिर वह क्या कारण हैं जिनकी वजह से हज़ारों गायिकाओं में लता मंगेशकर श्रद्धेय हो जाती हैं, हजारों नेताओं में गांधी संत हो जाते हैं, हज़ारों क्रांतिकारियों में भगत सिंह पूज्य हो जाते हैं और हजारों खिलाडियों में सचिन क्रिकेट के भगवान बन जाते हैं? केवल क्रिकेट की ही क्यों? सभी खेलों की बात कर लीजिये। सचिन सभी खेलों के खिलाड़ियों में अलग पहचान रखते हैं।
सोलह साल की कमसिन उम्र में, भोले से चेहरे के साथ जब सचिन ने मैदान में कदम रखा तो सभी ने कहा, ये बच्चा क्या खेल पायेगा? उस छोटे से बच्चे ने तब अपने बड़े से बल्ले का जौहर दिखाया और सभी को जवाब दे दिया। उसके बाद सचिन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी उम्र बढ़ती रही और साथ ही बढ़ती रही उनकी खेल में दक्षता, गंभीरता और ख्याति।
अपार प्रसिद्धि और पैसे के बीच सचिन कभी उड़ते नहीं दिखे। न हीरोइनों के साथ फोटो और न किसी अफेयर की चर्चा। सीधे एक दिन खबर आई कि, सचिन ने शादी कर ली। जिस समय सचिन ने अंजलि से शादी की, अंजलि उम्र में सचिन से आठ साल बड़ी थीं, सचिन बारहवीं पास थे और अंजलि डॉक्टर थीं, सचिन एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे और अंजलि एक बड़े हीरा व्यापारी की पुत्री थीं। धीर-गंभीर सचिन की इस बेमेल शादी पर सभी स्तब्ध थे और आशंका जता रहे थे कि यह विवाह अधिक दिन नहीं टिकेगा। सचिन कुछ नहीं बोले और उन्होंने अपनी टिकाऊ गृहस्थी से लोगों की इस आशंका को निराधार साबित किया।
यह शादी जैसे-जैसे पुरानी होती गयी इसकी जड़ें बरगद की भाँति और गहरी बढ़ती गयीं। सचिन के हर अच्छे-बुरे समय में अंजलि उनके साथ रहीं। सचिन का सामाजिक कद बहुत बढ़ता गया और अंजलि उसी अनुपात में अपने को समेटती गयीं। लम्बे समय बाद तक भी रिश्ते के प्रति सचिन की गंभीरता में कोई अंतर नहीं आया और उनके विषय में क्रिकेट से इतर कभी कोई चर्चा नहीं सुनी गयी। कार्यक्रमों में जब उनके साथी हीरोइनों के साथ ठुमके लगा रहे होते तो वे शर्मीले से अलग-थलग बैठते।
अपने लम्बे कैरियर में सचिन कभी किसी विरोधी टीम के खिलाड़ी, एम्पायर, कोच, कप्तान से नहीं लड़े। यदि उन्होंने कभी कुछ कहा भी तो उसे बहुत गंभीरता से सुना और माना गया। उन पर बहुत छींटाकशी हुई, पर उन्होंने कभी पलट कर मीडिया में तो क्या व्यक्तिगत रूप से भी जवाब नहीं दिया। उन्होंने कभी अपनी छवि से हटकर विज्ञापन नहीं किये। करोड़ों का ऑफर मिलने पर भी उन्होंने शराब का विज्ञापन करने से मना कर दिया। ग्लैमर को जीने वाले सचिन पर ग्लैमर कभी हावी नहीं हो पाया।
कौन कहता है कि व्यक्ति का एक गुण उसके सारे अवगुणों को ढँक देता है? हम सभी को वे अवगुण दिखते हैं, पर उस एक बड़े गुण के कारण हम उनकी अनदेखी कर देते हैं। सचिन जैसे लोग महान इसलिए हैं कि उनका एक बड़ा गुण अपने साथ अच्छा इंसान होने के लिए अनिवार्य बाकि सभी गुण भी समेटे है। वे शांत हैं, शीलवाल हैं, धैर्यवान हैं, गंभीर हैं, कर्मठ हैं, गुणी हैं,संतुलित हैं, अच्छे बेटे, अच्छे भाई, अच्छे पति,अच्छे पिता और अच्छे नागरिक हैं। इस सबके साथ वे बेहतरीन खिलाड़ी भी हैं। अच्छे और बहुत अच्छे खिलाड़ी आगे भी आएंगे, सचिन ने जैसे पुराने रिकोर्ड तोड़े, कोई और आगे उनके भी तोड़ेगा, पर सचिन जैसा व्यक्तित्व हमारे जीते जी तो दोबारा कभी नहीं आयेगा क्योंकि यह सारे संयोग एक व्यक्ति में संयोग से ही मिलते हैं और ऐसे संयोग सदियों में कभी होते हैं।
अच्छे खिलाड़ी तो दुनिया में पहले भी हुए हैं, आज भी हैं और आगे भी आते रहेंगे, पर इस महानता को छू पाना किसी के लिए आसान न होगा। आखिर वह क्या कारण हैं जिनकी वजह से हज़ारों गायिकाओं में लता मंगेशकर श्रद्धेय हो जाती हैं, हजारों नेताओं में गांधी संत हो जाते हैं, हज़ारों क्रांतिकारियों में भगत सिंह पूज्य हो जाते हैं और हजारों खिलाडियों में सचिन क्रिकेट के भगवान बन जाते हैं? केवल क्रिकेट की ही क्यों? सभी खेलों की बात कर लीजिये। सचिन सभी खेलों के खिलाड़ियों में अलग पहचान रखते हैं।
सोलह साल की कमसिन उम्र में, भोले से चेहरे के साथ जब सचिन ने मैदान में कदम रखा तो सभी ने कहा, ये बच्चा क्या खेल पायेगा? उस छोटे से बच्चे ने तब अपने बड़े से बल्ले का जौहर दिखाया और सभी को जवाब दे दिया। उसके बाद सचिन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी उम्र बढ़ती रही और साथ ही बढ़ती रही उनकी खेल में दक्षता, गंभीरता और ख्याति।
अपार प्रसिद्धि और पैसे के बीच सचिन कभी उड़ते नहीं दिखे। न हीरोइनों के साथ फोटो और न किसी अफेयर की चर्चा। सीधे एक दिन खबर आई कि, सचिन ने शादी कर ली। जिस समय सचिन ने अंजलि से शादी की, अंजलि उम्र में सचिन से आठ साल बड़ी थीं, सचिन बारहवीं पास थे और अंजलि डॉक्टर थीं, सचिन एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे और अंजलि एक बड़े हीरा व्यापारी की पुत्री थीं। धीर-गंभीर सचिन की इस बेमेल शादी पर सभी स्तब्ध थे और आशंका जता रहे थे कि यह विवाह अधिक दिन नहीं टिकेगा। सचिन कुछ नहीं बोले और उन्होंने अपनी टिकाऊ गृहस्थी से लोगों की इस आशंका को निराधार साबित किया।
यह शादी जैसे-जैसे पुरानी होती गयी इसकी जड़ें बरगद की भाँति और गहरी बढ़ती गयीं। सचिन के हर अच्छे-बुरे समय में अंजलि उनके साथ रहीं। सचिन का सामाजिक कद बहुत बढ़ता गया और अंजलि उसी अनुपात में अपने को समेटती गयीं। लम्बे समय बाद तक भी रिश्ते के प्रति सचिन की गंभीरता में कोई अंतर नहीं आया और उनके विषय में क्रिकेट से इतर कभी कोई चर्चा नहीं सुनी गयी। कार्यक्रमों में जब उनके साथी हीरोइनों के साथ ठुमके लगा रहे होते तो वे शर्मीले से अलग-थलग बैठते।
अपने लम्बे कैरियर में सचिन कभी किसी विरोधी टीम के खिलाड़ी, एम्पायर, कोच, कप्तान से नहीं लड़े। यदि उन्होंने कभी कुछ कहा भी तो उसे बहुत गंभीरता से सुना और माना गया। उन पर बहुत छींटाकशी हुई, पर उन्होंने कभी पलट कर मीडिया में तो क्या व्यक्तिगत रूप से भी जवाब नहीं दिया। उन्होंने कभी अपनी छवि से हटकर विज्ञापन नहीं किये। करोड़ों का ऑफर मिलने पर भी उन्होंने शराब का विज्ञापन करने से मना कर दिया। ग्लैमर को जीने वाले सचिन पर ग्लैमर कभी हावी नहीं हो पाया।
कौन कहता है कि व्यक्ति का एक गुण उसके सारे अवगुणों को ढँक देता है? हम सभी को वे अवगुण दिखते हैं, पर उस एक बड़े गुण के कारण हम उनकी अनदेखी कर देते हैं। सचिन जैसे लोग महान इसलिए हैं कि उनका एक बड़ा गुण अपने साथ अच्छा इंसान होने के लिए अनिवार्य बाकि सभी गुण भी समेटे है। वे शांत हैं, शीलवाल हैं, धैर्यवान हैं, गंभीर हैं, कर्मठ हैं, गुणी हैं,संतुलित हैं, अच्छे बेटे, अच्छे भाई, अच्छे पति,अच्छे पिता और अच्छे नागरिक हैं। इस सबके साथ वे बेहतरीन खिलाड़ी भी हैं। अच्छे और बहुत अच्छे खिलाड़ी आगे भी आएंगे, सचिन ने जैसे पुराने रिकोर्ड तोड़े, कोई और आगे उनके भी तोड़ेगा, पर सचिन जैसा व्यक्तित्व हमारे जीते जी तो दोबारा कभी नहीं आयेगा क्योंकि यह सारे संयोग एक व्यक्ति में संयोग से ही मिलते हैं और ऐसे संयोग सदियों में कभी होते हैं।
Why are you wasting your time and energy on such useless and shameless persons who have just pulled down the whole country by wasting their prime time in watching the cricket matches at the time of study, work, business. This game itself is not only a wastage of time but anti-national. Only British slave countries play it.
ReplyDelete@ AT JNU I am not talking about cricket here. this write up is all about a person who is righteous throughout.
ReplyDeleteचिदर्पिता जी आप मेरे कमेन्ट हटा कर या मुझे ब्लाक करके ठीक नहीं हो सकती हैं और न ही आप अपनी गलत बात को लोगों को मनवा सकती हैं शायद आप भूल गयीं "निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय"
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